जाति और वर्गवाद का जनसंवाद कार्यक्रम

क्या जनसंवाद में जातिवाद से भाजपा को फायदा होगा..

राजस्थान की मुख्यमंत्री ने जनसंवाद कार्यक्रम शुरु किये हैं। ये कच्ची बस्तियों और समस्याओं वाले इलाकों में नहीं बल्कि वहां आयोजित हो रहे हैं जहां उपचुनाव होने हैं। इनका उद्देश्य समाज उत्थान नहीं बल्कि आगामी उपचुनाव में भाजपा विजयी कैसे हो, इस पर मंथन करना है। अजमेर में सर्व समाज से जनसंवाद के नाम पर अलग अलग जाति के लोगों से मुख्यमंत्री मुलाकात कर चुकी हैं और अब अलवर की उन विधानसभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री दौरा करेंगी जो लोकसभा क्षेत्र अलवर में आती हैं। गौरतलब है कि जिले की 11 विधानसभाओं में से 8 ही अलवर लोकसभा में हैं बाकि जयपुर ग्रामीण, भरतपुर और दौसा लोकसभा क्षेत्र में हैं। भाजपा को लगता है कि जाति के नाम पर लोगों को एकजुट रखकर वो जीत दर्ज करा लेंगे। धौलपुर उपचुनाव में भाजपा ने जिस पैटर्न पर प्रचार किया उससे भी आगे बढ़कर आलवर और अजमेर में कोशीश हो रही है।

जाति और वर्गवाद बढेगा

भाजपा के पुराने सिपहसालारों का मानना है कि जाति और धर्म के नाम पर देश और प्रदेश में वोट एकजुट होते रहे हैं लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता सिर्फ भाजपा के नाम पर ही एकजुट होगा। इन कार्यक्रमों में भाजपा के दो समर्थक जो अलग अलग जाति से हैं भाजपा के लिए नहीं जाति के लिए एकजुट होते दिख रहे हैं जो ना तो समाज के लिए बेहतर है और ना ही पार्टी के लिए। 

अलवर में पहले कार्यक्रम में ही दिखा वाद

मुण्डावर विधानसभा में शाहजहांपुर स्थित होटल रमाडा में आयोजित इस कार्यक्रम में ही जातिवाद का असर दिखा। यहां एक जाति विशेष के लोगों ने परेशानी को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने की बात रखी तो उन्हें बाहर कर दिया गया और धक्कामुक्की हुई। जब पुलिस ने मामला शान्त करा दिया तो विरोध का कारण जातियों का विरोध बताया गया। ये मुश्किल उन इलाकों में ज्यादा बढ़ जायेगी जहां पहले से ही जातीय राजनीति हावी है।

चार साल से इसी तरह देखना चाहते थे जिम्मेदारी

भले ही सिर्फ समर्थन करने वालों को कार्यक्रम में प्रवेश दिया गया हो, लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री से मिलकर लोगों को अच्छा ही लगा। समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से भी जिम्मेदार शैली में ही बात की बजाय धमकाने के… मुख्यमंत्री कर्मचारी-अधिकारी वर्ग को भी नाराज नहीं करना चाहती और अधिकारियों से नाराज लोगों को भी साधना चाहती है। लोग चाहते हैं कि चार साल से सरकार ने लोगों की समस्याओं पर ध्यान दिया होता तो लगता सरकार हमारे बारे में कुछ सोचती है।

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