कौन थे महन्त चांदनाथ, जिनके जाने के बाद हल्ला मचा है
दिल्ली के बेगमपुर गांव में किसान मोहर सिंह यादव के घर में 21 जनवरी 1956 को जन्मे और इनकी माता चंपा देवी ने इनका नाम चांदराम रखा था। चांदराम सात भाई बहनों में सबसे बड़े थे। चांद राम यादव ही बड़े होकर महंत चांदनाथ बना और रोहतक के पास अस्थल बोहर में स्थित बाबा मस्तनाथ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मठ का संरक्षक बने। महन्त चांदनाथ ने हिंदू कॉलेज दिल्ली से बीए ऑनर्स की उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की थी। स्नातक के बाद 21 जनवरी 1978 महाचौदस के दिन महंत श्नेयोनाथ से दीक्षा ग्रहण की और उनके आदेशानुसार हनुमानगढ़ के थेहड़ी में जाकर कार्यभार संभाला। 7 जनवरी 1985 तक वहीं कार्य करते रहे। इन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा डॉक्टर की मानद उपाधि प्रदान की गई।
अनेक शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना
गैर शैक्षणिक संस्थान-
श्री बाबा मस्तनाथ धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय
श्री बाबा मस्तनाथ धर्मार्थ आयुर्वेदिक चिकित्सालय
श्री योगीराज फार्मेसी अस्थल बोहर
बाबा मस्तनाथ औषध वाटिका अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ व्यायामशाला इस्माइला
श्री बाबा मस्तनाथ धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय हनुमानगढ़
प्रमुख शैक्षणिक सेवा केंद्र –
श्री बाबा मस्तनाथ आयुर्वेद महाविद्यालय अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ प्रबंध शिक्षा एवं शोध संस्थान
श्री बाबा मस्तनाथ फार्मास्यूटिकल साइंस एवं अनुसंधान संस्थान
श्री बाबा मस्तनाथ दंत महाविद्यालय एवं चिकित्सालय अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ कॉलेज ऑफ मॉडर्न साइंस अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ संस्कृत संस्थान अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ शैक्षणिक शिक्षण संस्थान अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ नरसिंह इंस्टिट्यूट अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ इंजीनियरिंग महाविद्यालय अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ आवासीय पब्लिक स्कूल अस्थल बोहर
श्री बाबा मस्तनाथ पब्लिक स्कूल सिविल रोड रोहतक
मठ मंदिरों का निर्माण और विस्तार
श्री बाबा मस्तनाथ धर्मशाला बद्रीनाथ धाम
गुरु गोरक्षनाथ जी मंदिर, उज्जैन
श्री बाबा मस्तनाथ मठ क्षेत्र में रेबारी समाज के लिए बाबा मस्तनाथ धर्मशाला
गौशाला का निर्माण
कन्या छात्रावास अस्थल बोहर का निर्माण
नाथ सम्प्रदाय के साहित्य को संरक्षित करने की कोशीश
नाथ रहस्य, नाथ सिद्धों की शंखाढाल, बाबा मस्तनाथ चरित्र, देवभूमि मठ अस्थल बोहर, मेरे पूज्य गुरुदेव और साथ ही नष्ट हो रहे नाथ सम्प्रदाय के साहित्य का कायाकल्प कर कैसेट, CD और पुस्तक के रूप में प्रकाशन किया।
मठ की अचल सम्पत्ति में बढ़ोतरी
महन्त चांदनाथ योगी ने अपने कार्यकाल में बीकानेर, हनुमानगढ़, बिजवासन और हिसार में करीब 700 एकड़ जमीन का विस्तार किया। श्री बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना की और नाथ सम्प्रदाय के कानूनी हकों के लिए न्यायालय भी गये।
राजनीतिक सफर
महन्त चांदनाथ ने सबसे पहले हरियाणा के नारनौल से निर्दलीय के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और 400 मतों से पराजित हो गये। 2004 में अलवर लोकसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के डा. करणसिंह यादव के सामने हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2004 में ही बहरोड़ उपचुनाव में भाजपा ने फिर से टिकिट दिया और जीत दर्ज की। 2013 में अलवर लोकसभा से भाजपा ने टिकिट दिया और कांग्रेस के जितेन्द्र सिंह जो केन्द्र में मंत्री भी थे उन्हें 2 लाख 80 हजार से ज्यादा मतों से हराया। लेकिन इस बार महन्त चांदनाथ के शरीर ने उनका साथ नहीं दिया। गम्भीर बिमारी से पीड़ित हो गये और 17 सितम्बर 2017 को ब्रह्मलीन हो गये। लेकिन इस दौरान लोकसभा क्षेत्र में ना तो सांसद निधी खर्च कर पाये और ना ही लोकसभा क्षेत्र में सक्रियता रख पाये। ऐसे में बाजपा के लिए उपचुनाव में मुश्किल हो रही है।
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