टिकिट तय और गुटबाजी शुरु
अलवर लोकसभा से सांसद चुने गये मस्तनाथ आश्रम के गद्दीनशी महन्त चांदनाथ के निधन के बाद अलवर में चुनावी सरगर्मीयां तेज हैं। पहले तो भाजपा ने तय किया कि किसी भी स्टैण्डिंग विधायक को टिकिट नहीं देंगे ।फिर तय किया गया कि बाहरी को भी विरोध को देखते हुए टिकिट नहीं दिया जायेगा। लेकिन जीत को लेकर आश्वस्त होने की कोशीशों में डा. जसवन्त यादव का टिकिट लगभग तय कर दिया गया है। हालांकि अन्तिम क्षण तक डा. जसवन्त यादव पुत्र मोह दिखाते रहेंगे। टिकिट के तय होने के साथ ही अब भाजपा में गुटबाजी शुरु हो गई है।
भाजपा के दो डॉक्टर, दोनों के गुट अलग
डा. जसवन्त यादव और डा. रोहिताश्व शर्मा दोनों के सदा से ही अलग गुट रहे हैं। दोनों को सरकार में ओहदा देने के लिए भी आलाकमान ने कई शर्तें रखकर मनाया था लेकिन पानी उसी रास्ते बहते दिख रहा है। डा. जसवन्त यादव का टिकिट तय होने और पार्टी लाइन पर संदेश देने के बाद से ही कौन किसके गुट में रहेगा ये भी शुरु हो गया है। 28 नवम्बर को मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे समीक्षा बैठक करने अलवर आई तो हैलिपेड पर लम्बे इन्तजार ने गुटबाजी की समीक्षा भी कर डाली।
हैलिपेड पर ही हो गये आमने-सामने
दरअसल तिजारा से पूर्व विधायक रहे दीन मोहम्मद वर्तमान विधायक मामनसिंह यादव के विरोधी हैं और पहले भी इनकी आपसी मैं मैं-तू तू जगजाहिर हुई है। दीन मोहम्मद मेवात विकास बोर्ड के अध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन मामनसिंह ने पुरजोर विरोध किया। आज जब आमने सामने हुए तो फिर झगड़े की नौबत हो गई। डा. रोहिताश्व शर्मा और धर्मपाल चौधरी पर जिलाध्यक्ष ने उन्हें भड़काने का आरोप जड़ दिया तो दोनों ही उखड़ गये और जिलाध्यक्ष को आड़े हाथों ले लिया। इस झगड़े को मंत्री हेमसिंह भड़ाना शान्त करा रहे थे लेकिन विधायक ज्ञानदेव आहूजा और डा. रोहिताश्व शर्मा में अनबन हो गई। एक दूसरे के इतिहास सुनाने लगे तो फिर दूसरे भाजपाईयों ने कई दलीलें देकर चुप रहने को कहा।
चुनाव पर असर क्या
भाजपा में कई नेता भीतरघात की तैयारी में लग गये हैं लेकिन कांग्रेस के भी यही हाल हैं। कोई भी किसी को खुद से ऊंचा होते नहीं देखना चाहते हैं। साथ ही पुराने घाव भरने का वक्त भी ये ही है। कहते हैं राजनीति का अहसान चुनाव में ही उतारा जा सकता है इसलिए सब पार्टी लाइन से हटकर पहले अपनी तैयारी मे लगे हैं।
जहां भाजपा हारी वहां विधायक का टिकिट कटेगा
मुख्यमंत्री ने कह दिया है कि आपसी फूट का लाभ कांग्रेस को नहीं मिलना चाहिए इसके लिए एक तजबीज निकाली है और साफ कह दिया है कि हर विधायक अपनी विधानसभा का ख्याल करे और अगर उस विधानसभा में भाजपा हारती है तो अगले विधानसभा चुनाव में उस विधायक को भाजपा टिकिट नहीं परोसेगी।
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