By Manish Vijay
ये उपचुनाव का मौसम है, राजनीतिक पार्टियां बूथ-बूथ खेल रही हैं
करीब चार साल की शान्ती के बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। अलवर में पिछले एक माह से लग रहा है कि सरकार है… लोकतन्त्र है…. समस्याऐं सुनी जा रही हैं और ताबड़तोड़ दौरों के साथ सरकार से लेकर विपक्ष तक हर देहरी पर उपलब्ध हैं। ये टूट चुकी सड़कों के साथ लोगों के मन पर मरहम लगाने की कोशीश दिख रही है।
कांग्रेस का मेरा बूथ-मेरा गौरव कार्यक्रम
प्रदेश की मुखिया भाजपा की कार्यकर्ता के नाते पूरे अलवर लोकसभा क्षेत्र में (पूरे जिले में नहीं,क्योंकि वहां चुनाव नहीं है) दौरे कर चुकी है तो कांग्रेस भी एकत्रित होकर आखिरकार आ ही गई है। 6 दिसम्बर यूं तो भीमराव अम्बेडकर की बरसी और अयोध्या की बाबरी मस्जिद के लिए याद की जाने वाली तारीख है लेकिन कांग्रेस ने कार्यक्रम के लिए, अलवर लोकसभा में औपचारिक प्रचार की शुरुआत के लिए इसी तारीख को चुना है। कार्यक्रम का नाम मेरा बूथ मेरा-मेरा गौरव रखा है। जिलेभर में प्रत्येक बूथ से कांग्रेस के चार कार्यकर्ता बुलाये गये हैं। क्योंकि भाजपा की तरह ही कांग्रेस भी बूथ पर टीम को मजबूत करना चाहती है। हालांकि भाजपा ने प्रत्येक बूथ पर 20 लोगों की टीम बना दी है और वोटर लिस्ट के एक पन्ने पर एक प्रमुख यानि पन्ना प्रमुख बनाये हैं।
बूथ जीता चुनाव जीता
पहले भी कई राजनीतिक पार्टियों की ओर से बूथ पर यूथ जैसे कार्यक्रम आयोजित किये गये। पार्टियां अब मानने लगी हैं कि माइक्रो लेवल पर काम करके चुनाव में जीत हासिल की जा सकती है। क्योंकि अगर अलवर की बात होगी तो कई मुद्दे मुंह बायें खड़े हैं लेकिन अगर किसी मोहल्ले या गांव की बात होगी तो सारे मुद्दे गौण होकर आपसी रंजिश, विरोध, नाली और पानी पर चुनाव आ टिकता है। कहीं विरोधी के विरोध में वोट देना होता है तो कहीं प्रत्याशी विशेष,जाति,वर्ग,समुदाय या क्षेत्र और यहां तक कि गोत्र विशेष भी मुद्दा बन जाता है।
वोट आपका, बूथ आपका फिर गौरव किसका
अलवर उपचुनाव में दो ही पार्टियां प्रमुख रहने वाली हैं। दोनों ने कार्यकर्ताओं की सूची को डीजिटल करने के साथ ही नामों और नम्बरों में बढ़ोतरी भी की है और बूथ लेवल एजेन्ट, पन्ना प्रमुख या बूथ लेवल कार्यकर्ताओं की बैठकें ली जा रही हैं उन्हें बताया जा रहा है कि किस तरह वे असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटायें। दोनों पार्टियों में बूथ-बूथ मची है कुछ दिन रुको वोट-वोट मचेगी लेकिन इस आवाज से भी एक आवाज ज्यादा उंची होनी चाहिए जो विकास-विकास की हो।
+ There are no comments
Add yours