सरिस्का को अब घर के लोगों से खतरा
2005 में जब बाघ गायब हुए तो शिकारी बाहर से आए थे। यहां के लोग केवल सहयोगी थे। लेकिन सरिस्का में बाघों के पुनर्वास के बाद दो बाघों की मौत हुई है और दोनों ही बाघों की हत्या का आरोप स्थानीय लोगों पर है। बाघ एसटी 1 को जहर देकर मार दिया गया था और अब बाघ एसटी 11 को फंदा लगाकर मार दिया गया है जो सीधे तौर पर बाघ का शिकार है। एक बाघिन एसटी 5 अभी लापता है और अब उस बाघिन के जिन्दा रहने की उम्मीद खुद वन विभाग छोड़ चुका है। आशंका है कि शिकार हो गया और या फिर किसी दूसरे कारण से भी मौत हुई हो।
नक्शे पर एसटी-11 की मौत लिख दी गई है |
गांवों का विस्थापन हो, अवांछित लोगों की आवाजाही पर लगे लगाम
ऐसे हालातों में यह गंभीर हो जाता है कि गांवों का विस्थापन किया जाए। लेकिन सरकार की ओर से दी जाने वाली मुआवजा राशी जायज नहीं है, सरकार ने गम्भीरता से कोई बैठक को मोटिवेशन ग्रामीणों के लिए नहीं किया है। विस्थापन में राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है ये तो है ही उल्टा दखलंदाजी है जिसके चलते वन विभाग अपने उद्देश्यों को पाने में सफल होता नहीं दिखता। अब वन विभाग ने ग्रामीणों को लेकर नया प्लान बनाया है। सरिस्का कोर एरिया में स्थित 6 गांव क्रासका, देवरी, कांकवाड़ी, डाबली, सुकोला और हरीपुरा के 8 फीट ऊंची चारदीवारी कर दी जाए। ताकि गांव का कोई पालतू पशु या व्यक्ति जंगल में नहीं आए और जंगल का कोई जानवर गांव में नहीं जाए। हालांकि अभी ये पाइप लाइन में है और बजट समेत कई दूसरी समस्याओं के साथ ही ग्रामीणों का विरोध भी होना है।
पोस्टमार्टम के दौरान बाघ को धोक लगाती एक ग्रामीण महिला |
हत्या का आरोपी जेल में
ST 11 की हत्या का आरोपी भगवान प्रजापत अभी जेल में है हथियार रखने वाले उसके तीन अन्य साथी भी आर्म्स एक्ट में जेल में पहुंच चुके हैं। लेकिन यहां रह रहे लोगों को लगता है कि कुछ और आरोपी भी इस शिकार में शामिल रहे हैं और एक पूरा गैंग सरिस्का के आसपास काम कर रहा है। क्योंकि आरोपी भगवान प्रजापत का पिता हनुमान भी शिकारी था और उसके घर से सांभर के सींग, चाकू समेत कई ऐसी संदिग्ध वस्तुएं बरामद हुई हैं। ST 5 बाघिन अभी मिली नहीं है और वाइल्ड लाइफ के जानकार मान रहे हैं कि बाघिन की प्राकृतिक या प्राकृतिक मौत हो चुकी है। संभव है कि वह शिकारियों के हत्थे चढ़ गई हो लेकिन वन विभाग को यह घोषणा करने में अभी 25 दिन और लगेंगे कि सरिस्का के जंगल में बाघिन नहीं है।
बाघ के शव को जलाया जाता है |
क्या वैध रूप से चल रहे होटल और अतिक्रमणों पर डण्डा चल पायेगा
सरिस्का के आसपास होटल और फार्म हाउस बनाने वालों ने कब्जा कर लिया है तो अंदर मंदिरों के नाम पर बाबाओं ने कब्जा कर लिए हैं। सरिस्का का पूरा इलाका शिकारियों की पहुंच में है। कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच अच्छे संबंध नहीं है तो ग्रामीण भी अब वन विभाग के खिलाफ ही है। सरिस्का के अधिकारियों ने तो कर्मचारियों को खतरा होने की रिपोर्ट भी अधिकारियों को प्रेषित की है। 2010 में सरिस्का टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाने की बात हुई थी जिस पर अभी अमल नहीं हो सका है। सरिस्का मुश्किल में है।
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