अलवर सांसद के लिए कांग्रेस ने 4 बार टिकिट दिया तो रामसिंह यादव ने मुण्डावर, तिजारा और बानसूर से भी विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन मुण्डावर में एक बार जीत दर्ज करा सके। रामसिंह यादव ने 12 चुनाव लड़े जिसमें से 7 चुनावों में जीत दर्ज की। आइये जानते हैं उनके जीवन और राजनीतिक सफर के बारे में-
पारिवारिक और राजनीतिक सफर
अलवर से दो बार सांसद रहे राम सिंह यादव का जन्म 18 अप्रेल 1929 को किशनगढ़बास तहसील के कौशलपुर गाँव में हुआ था। इनकी मां भगवती और पिता प्रेमसिंह यादव थे। राम सिंह यादव ने एमए और LLB करने के बाद वकालत शुरू की थी। 1960 और 1965 में दो बार किशनगढ़बास से प्रधान निर्वाचित हुए। 1967 में गायत्री देवी के नेतृत्व में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मुंडावर विधानसभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़ा और 500 मतों से चुनाव हार गए। 1968 और 1970 में दो बार अलवर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 1972 में मुंडावर विधानसभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे, 25 मार्च 1972 से 30 अप्रैल 1977 तक राजस्थान विधानसभा में उपाध्यक्ष के पद पर रहे। 1977 में कांग्रेस से तिजारा विधानसभा से चुनाव लड़ा और 2500 मतों से पराजित हुए। जनवरी 1978 में अखिल भारतीय कांग्रेस (आई) के गठन के समय इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में पार्टी में शामिल होने वाले प्रथम नेताओं में थे। 1979 में इंदिरा गाँधी के समर्थन में जेल भरो आंदोलन में भाग लिया। 1980 में अलवर लोकसभा से कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 19287 मतों से पहली बार सांसद बने। 1984 में अलवर लोकसभा क्षेत्र से फिर कांग्रेस (आई) उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 1,25,500 मतों से दूसरी बार सांसद बने। 1985 में बंबई में AICC अधिवेशन में भाग लिया। 1987 में बोफोर्स तोप संयुक्त संसदीय जाँच समिति JPC में सदस्य नियुक्त किए गए। 1989 में अलवर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस (आई) उम्मीदवार के रूप में तीसरी बार चुनाव लड़ा लेकिन 80 हज़ार मतों से पराजित हो गए। 1991 में अलवर लोक सेवा क्षेत्र से कांग्रेस (आई) उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और फिर चुनाव हार गए। 1985 में कांग्रेस (आई) के शताब्दी समारोह में राजीव गांधी ने राजस्थान संयोजक के रूप में नियुक्ति दी। 1980-1990 तक लोक सभा में राजस्थान के सांसदों की समिति के लगातार संयोजक निर्वाचित किए गए। 1980-90 तक लोक सभा की महत्वपूर्ण संसदीय समितियों का सदस्य बनाया गया जिनमें लोक लेखा समिति, एस्टिमेट समिति, वित्त समिति हैं। 1980 में जयपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस (आई) के पर्यवेक्षक के रूप में नारायण सिंह द्वारा नियुक्ति दी गई। 1985 में चूरू विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस (आई) के पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ तत्कालीन सांसद रामसिंह यादव
1989 में धनिकलाल मंडल के नेतृत्व में पिछड़ा वर्ग आरक्षण आयोग के सदस्य के रूप में कार्य किया। 1998 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बानसूर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे लेकिन चुनाव हार गए। 2001 में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के संविधान निर्माण समिति में संयोजक नियुक्त किए गए। 2003 में राजस्थान सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य नियुक्त किए। 1973 में राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष के रूप में श्रीलंका में हुई बैठक का नेतृत्व किया। 1985 में संसदीय समिति सदस्य के रूप में पोलैंड (जर्मनी) की यात्रा की तथा बैठकों में भाग लिया। 1972 से 1977 तक राजस्थान विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर रहकर देश के विभिन्न प्रांतों में विधानसभा की बैठकों में भाग लिया। 1972 से 1977 तक राजस्थान की पांचवीं विधानसभा में पाँच वर्ष में अधिकतम पंद्रह सत्र संचालन करने का रिकॉर्ड बनाया।
रामसिंह यादव
अलवर में कराये विकास कार्य
अलवर में जय मार्ग पर निर्मित पुल को तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया से मंज़ूर करवाने का श्रेय राम सिंह यादव को है। मुण्डावर विधानसभा क्षेत्र के 67 गाँव का 1972 में केंद्रीय विद्युतीकरण कराने का श्रेय भी राम सिंह यादव के नाम हैं। सांसद के रूप में रहते हुए अलवर में आकाशवाणी और दूरदर्शन केन्द्रों की स्थापना कराने का श्रेय है तो आधुनिक भिवाड़ी की नींव रखने का श्रेय भी रामसिंह यादव को जाता है 1972 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान से औद्योगिक क्षेत्र घोषित कराकर आज के भिवाड़ी की नींव रख दी थी
राजनीति के बाद वकालत में सक्रिय रहे
रामसिंह यादव ने सक्रिय राजनीति से खुद को दूर कर लिया था लेकिन वकालत में सक्रिय रहे हालांकि कांग्रेस से लोकसभा के उपचुनाव लड़े डॉ करणसिंह यादव के प्रचार प्रसार में आखिरी बार चुनावी फील्ड में दिखे थे। उन्होंने किशनगढ़बास व अलवर न्यायालय में प्रक्टिस जारी रखी और उनका नाम बड़े वकीलों में शुमार रहा। राजस्व के मामलों में पीड़ित उनसे सलाहें लेने जाते थे। आखिरी समय तक वे एक्टिव ही रहे और न परिवारजन या न ही कोई और से मदद मांगते थे वे किशनगढ़बास और अलवर न्यायालय में रिक्शा से आते-जाते दिख जाते थे। लेकिन एक दिन अचानक ब्रेन हैमरेज होने के कारण उन्हें जयपुर के दुर्लभजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और रिकवर नहीं हो सके। बाद में चिकित्सकों ने उन्हें घर ले जाने की सलाह दी, घर में करीब 10 दिन रहने के बाद उनका निधन हो गया।
पूर्व सांसद राम सिंह यादव का परिवार
रामसिहं यादव
उनके तीन पुत्र सुभाष यादव जो युवा कांग्रेस में उपाध्यक्ष के पद पर रहे, दिनेश यादव जो हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे और सुरेंद्र यादव जो USA में इंजीनियर के पद पर काम कर रहे हैं वहीं 4 बेटियां इन्द्रा यादव प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हो चुकी है डॉक्टर सुनीता यादव अलवर के GD कॉलेज में उप प्राचार्य हैं व विद्या यादव और सुशीला यादव हैं इनके पौत्र निशांत यादव, यशपाल यादव, राजीव यादव, दिव्यांश यादव, प्रणब यादव और पौत्री निकिता यादव हैं निशांत यादव राजनीति में सक्रिय हैं।
इतिहासविद् हरिशंकर गोयल ने पूर्व सांसद रामसिंह यादव को लेकर क्या बताया सुनिये-
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