वीके अग्रवाल पर बैंगलोर में दर्ज हुआ करोड़ों की
धोखाधड़ी का मामला
अलवर में सनराइज यूनिवर्सिटी के मालिक वीके अग्रवाल पर बेंगलुरु में एक धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था जिसमें परिवादी देवेंद्र ने मागड़ी रोड थाने में 8 नवंबर को दर्ज कराए मामले में 2.26 करोड़ रुपये खाते में और 4.73 करोड़ रुपये नकद लेने का आरोप लगाया था। जो सनराइज यूनिवर्सिटी को टेकओवर करने के लिए दिए गए थे। लेकिन परिवादी ने कहा कि बाद में वीके अग्रवाल ने ना तो यूनिवर्सिटी दी और ना ही पैसे लौटाए। यूनिवर्सिटी भी किसी अन्य व्यक्ति को दे दी। दर्ज मामले के अनुसार बेंगलुरु पुलिस के एसआई प्रसन्ना एन की टीम अलवर पहुंची और वीके अग्रवाल को उसके निवास से दस्तयाब कर कोतवाली थाने लाई। जहां दोनों पक्षों में लिखित एग्रीमेंट के बाद समझौता हो गया। वीके अग्रवाल की ओर से कहा गया है कि वह अगले 6 महीने में खाते में आए पैसों पर ब्याज लगाकर वापस लौटा देंगे साथ ही वीके अग्रवाल ने चेक दिये हैं जिसके बाद बेंगलुरु पुलिस ने वीके अग्रवाल की गिरफ्तारी नहीं की और वापस लौट गई।
वीके अग्रवाल ने कहा कि हमारी सनराइज यूनिवर्सिटी में देवेंद्र ने अप्रैल 2020 में करीब सवा दो करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया था। बिजनेस पार्टनर के रूप में लेकिन बाद में बाकी इन्वेस्टमेंट के कमिटमेंट पूरे करने थे जो नहीं किए हमको उसे ट्रस्ट में भागीदारी देनी थी जो हमने नहीं दी वह पैसे हमसे मांगता रहा वह हमारा डिस्प्यूट था हमने कहा यह डोनेशन का पैसा था लोन में कैसे मांग रहे हो। उसने बेंगलुरु में f.i.r. कराई थी आज हमने अपना समझौता लिखित में किया है कि आपका पैसा लोन के रूप में मानकर ब्याज मिलाकर करीब 3 करोड़ के आसपास चुका देंगे। बेंगलुरु के हैं वह मार्केटिंग के लिए हमारे साथ जुड़ना चाहते थे उन्होंने पूरा पैसा नहीं दिया तो हमने उन्हें पार्टनर नहीं बनाया । सनराइज यूनिवर्सिटी हमारे पास ही है । इंचार्ज के रूप में हमने किसी और को दी है वह इंचार्ज है यूनिवर्सिटी हमारे ही हाथ में है। कोई फर्जीवाड़ा जैसा मामला नहीं है जो पैसा आया था। ब्याज समेत देने का एग्रीमेंट हमने कर लिया है जो थानाधिकारी की मौजूदगी में हुआ है।
-वीके अग्रवाल
यूनिवर्सिटी टेकओवर करनी थी इसका कॉन्टेक्ट हुआ था लेकिन उन्होंने कॉन्टैक्ट तोड़ा लेकिन अब जो भी समझौता था हमारा हो गया है, चेक बनाकर दिए हैं अगर ये चेक बाउंस होते हैं तो फिर से कानूनी कार्रवाई करूंगा।
-परिवादी देवेन्द्र
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