हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश, बिन माँ-बाप की बेटी का भात भरने पहुंचा मुस्लिम समाज
मामा बने प्रधान नसरू खान ने हिंदू रीति रिवाज निभाते हुए बिना मां बाप की बेटी की चाची को चुनरी उढ़ाई, शादी में उपस्थित रिश्तेदारों की आंख नम
अंजुमन शिक्षा समिति रामगढ़ ने एक बार फिर हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है। कस्बा निवासी बेटी आरुषि ऊर्फ कंचन का शुक्रवार को विवाह तय था। किसी तरह अंजुमन शिक्षा समिति अध्यक्ष व पंचायत समिति प्रधान नसरू खां तक यह सूचना पहुंची। जिसमें बताया गया की आरुषि एक साल की थी तो उसके माता-पिता चल बसे थे। किसी तरह चाचा-चाची ने उसका पालन-पोषण किया। आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद चाचा जयप्रकाश जांगिड़ ने आरुषि को एमए तक पढ़ाया और अब भतीजी के रिश्ते की चिंता हुई तो धोली दूब निवासी डालचंद के साथ उसका रिश्ता तय कर दिया। शादी की सूचना अंजुमन शिक्षा समिति को मिली तो आरुषि का भात भरने की कवायद शुरू हुई। शुक्रवार शाम पूरी तैयारी के साथ प्रधान नसरू खान की अध्यक्षता में शिक्षा समिति के सदस्य आरुषि के घर भात देने पहुंचे। जहां पूरे रस्मो-रिवाज के साथ आरुषि का भात भरा गया। समिति ने ₹31 हजार नकदी सहित अन्य सामान एवं बारात के भोजन की व्यवस्था में भी सहयोग किया। भात भर रहे नसरू खान ने हिंदू रीति रिवाज निभाते हुए बिना मां बाप की बेटी को आशीर्वाद दिया तो बेटी मामा बने प्रधान के गले लग कर काफी रोई इस नजारे को देखकर लोगों की आंखें नम हो गई । मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा भात भरने की खबर रामगढ़ में फैल गई जो कस्बे में एक चर्चा का विषय बनी हुई है । कस्बे के लोगों का कहना है कि बेटी का भात भरने के लिए आए मुस्लिम समाज के लोग एक हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है । अंजुमन शिक्षा समिति लंबे समय से निर्धन एवं गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह में भात के रूप में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती रही है। जिसमें पंचायत समिति प्रधान एवं शिक्षा समिति अध्यक्ष नसरू खान एवं इससे जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों की विशेष भूमिका रही है।
कंचन के चाचा जयप्रकाश ने कहा कि कंचन के माता-पिता की मौत 2001 में हुई थी जब कंचन 1 साल की थी । गरीबी स्थिति होने के बावजूद भी कंचन को MA तक पढ़ाया। लोगों से कर्जा लेकर बेटी की शादी कर रहा था लेकिन भात भरने के लिए आये मुस्लिम समाज के लोगों ने टेंशन दूर कर दी क्योंकि भातीयों ने एक गरीब की कुटिया में नरसी भगत की तरह भात लेकर पहुँचे। मुस्लिम समाज के लोगों ने ₹31000 व पूरे परिवार व रिश्तेदारों की हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पहरवानी कराई साथ ही बरात के भोजन की व्यवस्था में भी सहयोग किया है।
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