क्या नगर परिषद क्षेत्रों के नागरिक कुछ संवैधानिक हकों से महरूम हैं
अलवर में पिछले कुछ दिनों से नगर परिषद में वार्ड समितियां नहीं बनाने का मुद्दा बना है और कुछ कार्यकर्ताओं समेत कई पार्षद भी इसे उठा रहे हैं लेकिन नगर परिषद के सभापति का इससे कोई लेना देना नहीं है। खास बात ये है कि ये मुद्दा उठाने वाले अनूप दायमा कहते हैं कि पूरे राजस्थान में ही इसका इम्पलीमेंटेशन नहीं हुआ है। अनूप दायमा की ओर से नगर परिषद आयुक्त को भी एक पत्र सौंपा गया है जिसमें संविधान के अनुसार वार्ड समितियों के गठन की मांग की है।
किस नियम से हो वार्ड समितियों का संवैधानिक रूप से गठन
भारतीय संविधान अनुच्छेद 40 में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अधीन आदेश देता है कि-
“राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियां व प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाईयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हों।” यह सिद्धांत सत्ता/शासन के विकेंद्रीकरण का द्योतक है|
1991-92 में संविधान में पंचायतों के बारे में 73वें एवं 74वें संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित किया गया | 73वे संशोधन के ज़रिये पंचायतों में व 74वें संशोधन के ज़रिये नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा मिला था| यह दोनों संशोधन अनुच्छेद 243 के रूप में संविधान में जोड़ दिए गए थे|
1992 में 74वें संशोधन के तहत अनुच्छेद 243 की उपधारा (s) में वार्ड समितियों को गठन करने का प्रावधान बनाया गया | राजस्थान नगर पालिका (द्वितीय संशोधन) अधिनियम 1994 के ज़रिये राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 1959 में संशोधन कर धारा 73(a) के तहत तीन लाख से अधिक जनसँख्या वाले पालिका/परिषदीय क्षेत्र में स्थित वार्डों में वार्ड समितियों के गठन किए जाने का कानून बनाकर लागू किया गया है |
कार्यपालक समितियों का गठन तो हुआ है
नवीन राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 में भी धारा 54 के अंतर्गत वार्ड समितियों के गठन का प्रावधान किया गया है| यहाँ यह स्पष्ट कर देना होगा कि धारा 54 के अंतर्गत वार्ड समितियों का गठन किया जाता है जबकि उपरोक्त अधिनियम की धारा 55 के तहत कार्यपालक समितियां यथा- वित्त समिति, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति, भवन अनुज्ञा समिति इत्यादि का गठन किया जाता है | अलवर में भी नगर परिषद की ओर से इन समितियों का गठन किया जा चुका है। धारा 54 के तहत बनने वाली वार्ड समितियों का कार्यक्षेत्र सम्बंधित वार्ड तक ही सीमित होता है जबकि धारा 55 के तहत गठित कार्यपालकीय समितियों का कार्यक्षेत्र पूरा नगरपालिका/नगर परिषद् क्षेत्र होता हैं|
अलवर नगर परिषद के सभापति अशोक खन्ना कहते हैं कि ‘ना तो डीएलबी का कोई ऐसा आदेश है और ना ही पार्टी (बीजेपी) ने ही कोई निर्देश दिये हैं ऐसे में हमें किसी वार्ड समिति से कोई लेना देना नहीं है और गठन भी बिना किसी आदेशों के नहीं करना है।’ लेकिन वार्ड समिति बनाने की मांग कर रहे अनूप दायमा कहते हैं कि ‘देश में शासन को संविधान द्वारा निर्देशित किया जाता है किसी पार्टी द्वारा नहीं। पदों पर आसीन लोगों को संविधान के अनुसार काम करने चाहियें।’
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