आजादी से पहले अलवर स्टेशन से गुजरती थी सिर्फ चार ट्रेन आज हो गई हैं 100
अलवर में पहली बार रेल कब आई.. अगर नहीं सोचा तो सोचना शुरु करो, कुछ ऐसी बातें जो अलवर के रहवासी होने का कारण आपको पता होनी चाहियें। 1873 में दिल्ली से अहमदाबाद रेलवे लाइन बिछाई जानी थी और हमारा अलवर रास्ते में आता था। बस यहीं से अलवर ट्रेन आने का रास्ता खुला। रेलवे लाइन के शुरु होने के बाद चार यात्री गाड़ियां यहां से गुजरती थी। अलवर जंक्शन हुआ तो यहां एक चाय की थड़ी होती थी.. पुराने लोग बताते हैं कि स्थानीय लोगों में चाय पीने का ज्यादा चलन नहीं था और यूरोपियन लोग ही चाय पीते थे। जिस तरह आज यहां रेहड़ी पर कलाकन्द बिकता है वो पहले भी थे और कलाकन्द के साथ ही ईमरती और जलेबी भी बेचा करते थे।
यात्री गाड़ी में होते थे मालगाड़ी के डिब्बे
अलवर स्टेशन से पहली ट्रेन बांदीकुई से रेवाड़ी को जाती थी जो शटल कहलाती और साथ में माल गाड़ी के डिब्बे भी उसी में लगे होते थे। दिल्ली से अहमदाबाद अप-डाउन एक्सप्रैस ट्रेन थी। धीरे धीरे यहां गाड़ियों की संख्या बढ़ी और दूसरा प्लेटफ़ार्म भी बना। वर्तमान में यहां 74 यात्री गाड़ियां और 26 मालगाड़ी गुजरती हैं। देशी विदेशी पर्यटकों को लुभाने के प्रयास भी हो रहे हैं। और यहां अलग अलग तरह की पेन्टिंग्स की गई हैं ताकि ज्यादा सुन्दर नजर आ सके।
तीसरा प्लेटफॉर्म बनेगा,एक्सीलेटर भी लगेगा
अलवर जंक्शन पर जल्द ही 3 प्लेटफार्म होंगे। तीसरे बनने वाले प्लेटफार्म का कार्य चल रहा है जो कि जून 2018 में पूरा होगा। साथ ही प्लेटफार्म की लंबाई भी बढ़ाई जाएंगी । अलवर से बांदीकुई के बीच डबल लाइन डालने के कार्य चल रहा है जो मार्च 2019 तक पूरा होगा । इसके अलावा प्लेटफार्म पर दो इलेक्ट्रिक एक्सीलेटर लगाए जाएंगे । जिससे एक दूसरे प्लेटफॉर्म पर यात्रा आसानी से पहुंच सकेंगे।
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