क्या ज्ञानदेव आहूजा संघ को खुश करने में कामयाब हो पाये
अलवर में रामगढ़ से एक विधायक हैं ज्ञानदेव आहूजा… यूं तो तीसरी बार विधायक बने हैं। लेकिन उनकी छवि हिंदूवाद से बाहर नहीं आ सकी। जब जब भी उन्हें राजनीतिक संकट लगा तो अपने कैरियर को ऊंचाइयां देने के लिए फिर से हिंदू मुस्लिम का राग अलापने लगे और आहूजा को हिंदू मुस्लिम की बात का राजनीतिक लाभ भी मिला। इस बार जब जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे तो मंत्री बनने के बड़े ख्वाब थे। पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कैबिनेट में उन्हें कहीं जगह नहीं मिल सकी थी । खुद से जूनियर अलवर जिले से ही आने वाले हेमसिंह भड़ाना जब कैबिनेट में मंत्री बन गए थे तो उन्हें और दुख हुआ और मीडिया में कई तरह के बयान देकर चर्चा में रहे। लेकिन कभी संघ छोड़कर वसुंधरा राजे से नज़दीकियां बढ़ाने वाले ज्ञानदेव आहूजा को अब तक समझ आ चुकी थी कि उसका उद्धार संघ के माध्यम से ही हो सकता है । ऐसे में खुलकर तो मुख्यमंत्री का विरोध नहीं कर सके लेकिन समय समय पर यह दिखाते रहे कि वह अब भी संघ के ही ज्यादा नजदीक हैं।
ज्ञानदेव आहूजा का एक और ऑडियो सामने आया है
इसमें साफ तौर पर लग रहा है कि वीडियो जानबूझकर बनाया गया है । क्योंकि फोन उठते ही ज्ञानदेव आहूजा की आवाज गूंजती है जो उत्साह से भरी नजर आती है ऑडियो में कोई फोन की घंटी नहीं सुनती जिससे लगता है कि जिस व्यक्ति ने यह रिकॉर्डिंग की है उसी के फोन से नम्बर डायल किया गया था।
अब यह सुनिए कि नए ऑडियो में ज्ञानदेव आहूजा क्या बोल रहे हैं
सबसे पहले ज्ञानदेव आहूजा भजीट गांव के निवासी ओमप्रकाश को हेलो माय डियर के नाम से संबोधित करते हैं और फिर शायरी सुनाते हैं- जैसा किया है तूने… तू वैसा ही भरेगा… और फिर कहते हैं कि अब तो मन भर गया। मैं 40,000 से हारकर मस्त हूं ,हरफनमौला हूं। यहां जसवंत यादव हारा है, सरकार हारी है , वसुंधरा राजे हारी है। ना मैं ज्ञानदेव हारा हूं और ना ही ओमप्रकाश हारा है। जब सामने वाला ओमप्रकाश ये कहता है कि विपक्षी हमें गांव में ताने मार रहे हैं तो आहूजा कहते हैं यह तो होगा ही। लेकिन मैंने दिल्ली में रामलाल भाई साहब को पूरा मामला समझा दिया था। कहा था कि हम तीनों ही जगह हारेंगे और बहुत बुरे हारेंगे और अगर जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया गया तो और बुरी स्थिति होने वाली है। ऐसे में सामने वाला ओमप्रकाश कहता है कि 3 दिन में वसुंधरा राजे को बदलवाओ ताकि मैसेज जाए और पब्लिक खुश हो। तो आहूजा कहते हैं 3 दिन या महीना 15 दिन.. जो भी लगे लेकिन वसुंधरा राजे और अशोक परनामी को बदलना ही है।
कितना खुश हुआ है संघ
एक बार फिर ज्ञानदेव आहूजा संघ के आला नेताओं को खुश कर रहे हैं वसुंधरा राजे के खिलाफ बयान देकर। हां ज्ञानदेव आहूजा के बयान से यह भी तय हो गया है कि राजस्थान में भाजपा और संघ अलग-अलग हो गए हैं और पिछले उपचुनाव में भाजपा की जितनी बुरी तरह से हार हुई है, उसमें संघ का भी कम योगदान नहीं है।
मुल्ला कहने से क्या होगा
ऑडियो में एक बात और गंभीरता से ज्ञानदेव आहूजा कहते नजर आते हैं । कि शहर में तो मुसलमान नहीं है, वो मुसलमान को मुल्ला कह कर संबोधित कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि लोग इस ऑडियो को सुने और एक बार फिर से हिंदू मुस्लिम की राजनीति का लाभ उसे अपने राजनीतिक कैरियर में हो जाए। साथ ही शिष्य से प्रतिद्वंदी बन चुके अलवर शहर विधायक बनवारी लाल सिंघल को भी ऑडियो में आईना दिखाने की कोशिश कर रहे हैं । अब यह वक्त ही बताएगा कि मुसलमानों को भला बुरा कहने से हिंदू वोट फिर कितना गुमराह होंगे। साथ ही इन बयानों से संघ ज्ञानदेव आहूजा से कितना खुश होता है।
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