अलवर में भाजपा और कांग्रेस की दलित वोटों पर नजर

उपचुनाव में दलित वोट महत्त्वपूर्ण साबित होंगे

अलवर में उप चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और भाजपा व कांग्रेस प्रमुख तौर पर इस उपचुनाव में आमने सामने हैं। भाजपा अपनी सीट खोना नहीं चाहती और सरकार भी अलवर में जीत जरूरी मानती है। लेकिन कांग्रेस पुरानी सीट का हवाला देकर कार्यकर्ताओं में जोश भर रही है। पिछले दिनों अलवर में अंबेडकर मूर्ति विवाद के बाद दलित वोटों पर दोनों ही पार्टी नजरें जमाए हैं।


जिले में सबसे ज्यादा है दलित वोटों की संख्या

अलवर जिले में संख्या के हिसाब से दलित वोट बैंक सबसे ज्यादा है। जो करीब 400000 से ज्यादा बैठता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां यादव प्रत्याशी को मैदान में उतार रही हैं। जो संख्या में दूसरे नंबर पर आते हैं । तीसरे नंबर पर जिले में मेव मतदाता है। लेकिन ध्रुवीकरण के चलते मेव प्रत्याशी का अलवर में सांसद बनना मुमकिन नहीं है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनो ही पार्टियां दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है। पिछले दिनों एमआईए थाना क्षेत्र के सहजपुर गांव में अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर हुए विवाद में 10 लोग जेल चले गए थे। जिसके बाद अंबेडकर के नाम पर दलित समाज के लोग एकत्रित हुए और पहली जनवरी को हजारों की संख्या में रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। रैली को देखकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में खलबली मच गई। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष टीकाराम जूली और पूर्व जिला प्रमुख रैली में पहुंची लेकिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष को दलित नेताओं ने ठीक से संबोधित नहीं करने दिया। डॉक्टर करण सिंह यादव उसी जगह पर मूर्ति लगाने का वादा कर रहे हैं। वे बाबा साहब का असम्मान नहीं करने की चेतावनी देते हुए कहते हैं कि सरकार को जनभावना का ख्याल रखना चाहिए था लेकिन हम सरकार में आकर उसी जगह मूर्ती लगायेंगे।


पुलिस पर पथराव में 100 के खिलाफ दर्ज है मामला

मूर्ति प्रकरण में कुल 100 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। भाजपा के विधायक ज्ञानदेव आहूजा भी दिलासा देने मौके पर पहुंचे थे। लोगों की मांग थी कि ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमे वापस हों और ससम्मान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति उसी स्थान पर लगाई जाए। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं हो सका है। भाजपा ने अपने तरीके से पूरे मामले को हैंडल करने की कोशिश की है। यह सही है की रैली के बाद दूसरा कोई विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम दलित नेताओं की ओर से नहीं किया गया जो भाजपा की सफलता बताता है। भाजपा के जिलाध्यक्ष धर्मवीर शर्मा कहते हैं कि दलितों से हमारा भाईचारा है और भाजपा उनके बूथों पर जीत दर्ज करेगी। ऐसा ही भरोसा वो पार्टी के आला नेताओं को दे चुके हैं।


चार साल से भाजपा ने दलितों जोड़ने की कोशीश की

पिछले 4 साल से भाजपा अंबेडकर की जयंती और पुण्यतिथि पर विभिन्न कार्यक्रम करती रही है। जिसमें दलितों के घर खाना भी शामिल है। जो पूरी तरह वोट बैंक को साधने के लिए ही किया गया था। हमेशा से कांग्रेस के साथ रहे दलित वोट अलवर में जिस तरफ भी जाएंगे उसी प्रत्याशी को जीत की ओर ले जाएंगे । लेकिन यह सही है की समस्त लोकसभा क्षेत्र में पूरा दलित वोट बैंक एक ही पार्टी के साथ नहीं रहता।

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