ये जो कर रहे हैं ज्यादती से कम नहीं है

बीच शहर की पॉस कॉलोनी से कैसे हो जाती है गौतस्करी

अलवर गौ तस्करों को लेकर खासा चर्चा में रहने लगा है। ऐसा नहीं है कि सबसे ज्यादा गौरक्षक यहीं है या यहां की पुलिस बड़ी सख्त मिजाज है। यहां के लोग सबसे ज्यादा गौतस्करी कर रहे हैं ये तथ्य भी झूठा ही कहा जायेगा। बस यहां की सबसे बड़ी परेशानी बॉर्डर वाला जिला होना है और हरियाणा से आने वाले गौ तस्करों के लिए यह मुफीद जगह है। बॉर्डर से उस पार जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता और मेवात में ग्रामीण रास्तों से आसानी से दूरी भी तय हो जाती है। यहां कुछ रास्तों की पहचान गौ तस्करी वाले रास्ते के रूप में हो चुकी है। पर सबसे बड़ी मुस्किल ये हो गई है कि शहर के बीचों बीच गौ तस्कर गाड़ी में गाय भरकर ले जा रहे हैं और आम लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं।

‘वो क्षण बहुत मुश्किल वाला था’

4-5 दिसम्बर की रात 12 बजे आशीष शर्मा अपने पिता श्री के साथ जो रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं शादी समारोह से घर लौटे थे। सोने की तैयारी में थे कि माताजी ने कुछ आवाजें सुनीं और देखा कि कुछ लोग घर के पास से ही गाय को गाड़ी में भरकर ले जा रहे हैं। पुलिस को सूचना दी गई और खुद अपनी गाड़ी से गौतस्करों का पीछा करने लगे। 40 मिनिट की छानबीन के बाद जब घर लौट रहे थे तो उसी गाड़ी को घर के पीछे वाली गली में पाया। पुलिस को फोन लगाया और अभी पीछे चलते हुए गाड़ी की लोकेशन पुलिस को बता रहे थे कि गौतस्करों ने गाड़ी में उल्टे वाला गियर लगाया। पीछे बैठे लोग इनकी गाड़ी पर पथराव करने लगे। गौतस्करों ने गाड़ी को उल्टा दौड़ाते हुए इनकी गाड़ी से टकराया और पीछे घसीट दिया। कुछ देर पहले तस्करों की गाड़ी से बाल बाल बचने वाला एक बाइक सवार भी इन्हीं के साथ था खुद को बचाने में लग गया। अचानक किये गये गौतस्करों के हमले से खुद को बचा नहीं पाये। लेकिन जब गौतस्करों ने ये सुन्श्चित कर लिया कि गाड़ी डैमेज हो चुुकी है और कोई भी शख्स विरोध करने में सक्षम नहीं है तो गाड़ी लेकर फरार हो गये। पुलिस फिर भी नहीं आई। उससे पहले इनके दोस्त आ गये। जिन्होंने गाड़ी को वहीं छोड़ने की सलाह देते हुए पिता पुत्र को घर पहुँचाया। आशीष शर्मा याद करते हैं कि ‘गाड़ी में कई लाख का नुकसान हुआ है लेकिन उस क्षण सिर्फ जान बचाने की पड़ी थी।’ बाल बाल बचा बाइक सवार भी यही दोहराता है।

चाकचौबन्द नाकेबन्दी को गच्चा दे गये गौतस्कर

इतने घटनाक्रम के हो जाने के बावजूद पुलिस गौतस्करों को रोकने में कामयाब नहीं हो सकी। हर बार की तरह इस बार गाड़ी और गायों को छोड़कर फरार नहीं हुए बल्कि इन सबके साथ गौतस्कर फरार होने में कामयाब गये। जबकि शहर से निकलने वाले हर रास्ते पर पुलिस के जवान मुस्तैद थे। 

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