एनकाउंटर के बाद भी जारी है गौतश्करी
अलवर में हर मुंह से यही सुना जाता था कि पुलिस सख्त हो जाए तो गौ तस्करी पर लगाम लग सकती है। पुलिस इतनी सख्त हो गई कि एक गौ तस्कर की एनकाउंटर में जान चली गई । लेकिन बावजूद उसके गौ तस्करी बदस्तूर जारी है। ना रास्ते तस्करों ने बदले हैं और ना ही तौर-तरीके….. हां अब लंबी बहस के बाद गौ तस्करी के इस माफिया के जाल से कई कहानियां सामने आ रही हैं ।
ज्यादातर लावारिस गायों को बनाते हैं निशाना
गौ तस्करी का पूरा एक नेटवर्क है। किसी भी अन्य माफिया की तरह यह भी एक माफिया है। जैसे शराब माफिया में चालक को नहीं पता होता कि शराब का मालिक कौन है ठीक ऐसे ही गौ तस्करी में भी गाय उठाने वाले और गाड़ी दौड़ाने वाले चालक को नहीं पता होता कि गाड़ी किसकी है और गाय कहां जानी हैं। उसे बस गाय उठाने की मजदूरी मिलती है। बातचीत के बाद स्थानीय व्यक्ति का नाम नंबर बताया जाता है वही गायों का ठिकाना बताता है कि रात्रि में गाय कहां लावारिस हालत में मिलती हैं। गाड़ी वहां जाती है, लावारिस गायों को उठाकर गाड़ी में पटका जाता है और गौ तस्कर रफूचक्कर हो जाते हैं।
बेहोश करनेे केे लिये इंंजेक्शन देतेे हैं
गायों की तस्करी को लेकर बहस छिड़ी है, तभी से गोतस्करों को डर सताने लगा है कि रास्ते में पुलिस के साथ दूसरी एजेंसियों, आम लोगों को भी गाड़ी में गाय होने का पता चलते ही मुश्किल का सामना करना पड़ता है। नौबत मारपीट तक ही नहीं, जान से हाथ धोने की भी हो जाती है। ऐसे में गायों को पकड़ने के बाद उन्हें बेहोशी का इंजेक्शन दिया जाता है ताकि गाय गाड़ी में रंभाए नहीं और आसपास जा रहे लोगों को गाड़ी में गाय होने का पता न लगे।
किराए पर मिलते हैं गाय उठाने वाले
हम पूरी कहानी कहेंगे इससे ज्यादा ठीक है कि आप खुद ही एक गौ तस्करी के आरोपी की जुबानी सुन लीजिए। नीमराणा थाना क्षेत्र में 14-15 दिसंबर की रात थानाधिकारी हितेश शर्मा और क्यूआरटी की टीम ने एक केंटर को रोककर 21 जिंदा गाय मुक्त कराई, केन्टर में दो मृत गाय भी मिली। गाड़ी जब्ती के साथ ही एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया। आरोपी शंभू मेव हरियाणा के नूंह का रहने वाला है। इसने कम शब्दों में अपनी कहानी कह दी।
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