अलवर में कांग्रेस जीतने के मूड में नहीं है

अभी जितेन्द्र सिंह समर्थक फैसला नहीं कर पाये हैं

अलवर लोकसभा उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। कांग्रेस ने अपना तुरुप का पत्ता भी चल दिया लेकिन इसका लाभ कांग्रेस को नहीं मिल सका है। पहले पहल ये माना जा रहा था कि कांग्रेस ने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करके भाजपा पर मानसिक दबाव बढ़ा दिया है और प्रचार में भी माइलेज मिलने वाला है लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है। कांग्रेस पार्टी खुद अपने में उलझी नजर आ रही है और इसका असर कहीं उल्टा होता दिख रहा है। 


6 दिन बाद तक भी शुरु नहीं हुआ प्रचार

23 दिसम्बर को दिल्ली के 15 रकाबगंज पर आयोजित बैठक में डा. करणसिंह यादव के नाम पर मुहर लग गई थी। देर शाम तक खुद कांग्रेस ने बयान जारी कर अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी थी लेकिन 6 दिन बीत जाने के बाद भी कांग्रेस वहीं है जहां 23 दिसम्बर को थी। खुद भाजपा को इसका डर लग रहा था कि कांग्रेस प्रत्याशी के नाम का माइलेज ना ले ले। लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी और कुप्रबन्धन भाजपा के लिए लाभदायक है। 


ढाई दिन चले अढाई कोस

प्रत्याशी के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस ने ताबड़तोड़ कार्यालय के लिए मकान देखे और अलवर शहर में नंगली सर्किल के पास कार्यालय के हॉर्डिंग भी लगा दिये। दूसरा जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक हो गई। एआईसीसी सचिव देवेन्द्र यादव और जुबेर खान की मौजूदगी में जिला कांग्रेस की बैठक हुई और विधानसभा वार भी बैठक ली गई। बैठक में जिला कांग्रेसके दिग्गज नेता मौजूद रहे। जिलाध्यक्ष टीकाराम जूली,सह प्रभारी हरीश यादव,प्रत्याशी डा. करणसिंह यादव, महेन्द्र शास्त्री, जौहरीलाल मीणा, रमेश खींची समेत जिला कांग्रेस के सभी क्षत्रप थे। यहां कांग्रेस को जिताने की रणनीति के साथ ही गुटबाजी और खुद के लाभ-हानी पर जमकर चर्चा हुई।

कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं

कुलमिलाकर कांग्रेस को छ दिन में चुनावी माहौल बना देना चाहिए था लेकिन अब तक जिले में डा.करणसिंह यादव के अलावा किसी भी नेता ने दौरे शुरु नहीं किये हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ता क्षेत्र में नजर नहीं आ रहे हैं या यूं कहें कि कांग्रेस के प्रभारी और आला नेता कार्यकर्ताओं में जोश भर पाने में कामयाब नहीं हो सके हैं। 

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours