अभी वोट भी चाहिए और जी हुजूरी भी..
अलवर में जनसंवाद के कार्यक्रम जारी है और मुख्यमंत्री लोगों का दिल जीत लेना चाहती हैं। ऐसे वक्त में जब उपचुनाव सामने हैं और ये बात लोकसभा क्षेत्र के सभी रहवासी जानते हैं। चार साल बाद जनसंवाद का ये जिम्मेदाराना काम मुख्यमंत्री को क्यों याद आया इसका प्रचार अधिकारी भी खूब कर रहे हैं। लेकिन ये राजनीति है और सबको साधकर चलना है। मतदाता के दिल को रिझाना है और अधिकारी को भी खता नहीं लगनी चाहिए।
11 में से 8 विधानसभाओं में जनसंवाद
प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे अलवर की आठ विधानसभाओं में ही समस्या जानने आई हैं, यूं तो जिले में 11 विधानसभा हैं लेकिन सर्वजातीय के नाम वाला ये जातीगत संवाद सिर्फ आठ विधानसभाओं में होना है। बाकी तीन में संवाद की जरूरत नहीं है इसका कारण वहां राम राज नहीं बल्कि चुनाव ही है। कठूमर, बानसूर और थानागाजी विधानसभा क्रमश भरतपुर,जयपुर ग्रामीण और दौसा लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। बाकी आठों विधानसभाओं में लोकसभा का उपचुनाव होना है। इसलिए संवाद हो रहा है।
खास लोगों को प्रवेश पत्र
खास बात ये कि जनसंवाद के इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से कौन मिलेगा और कौन सवाल या समस्या को रखेगा, ये वहां का विधायक ही तय करेगा। अब अगर किसी पार्टी कार्यकर्ता के विधायक से सम्बन्ध ठीक नहीं हैं तो मुख्यमंत्री के सामने ना संवाद कर सकेगा और ना ही सवाल।
अफसरों को जनसेवक बनने के निर्देश
यूं तो जनसेवक खुद नेता ही होता है लेकिन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने अलवर जिले के अफसरों को जनसेवक बनकर काम करने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने माना कि अगर समस्या का निस्तारण हाथों-हाथ होता है तो फरियादी का चेहरा भी खिल उठता है। अधिकारी अपना रुतबा छोड़ें और अफसर बनकर नहीं बल्कि जनसेवक बनकर काम करें ताकि जनता की नजर में उनका सम्मान बढे। मुख्यमंत्री राजे ने अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के सर्वसमाज से बातचीत के दौरान अधिकारियों को ऐसा कहा। मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल ये है कि मतदाताओं को खुश करना ही है लेकिन अधिकारियों की नाराजगी मोल नहीं लेनी है। आगामी चुनाव में अधिकारी भी वोट दिलायेंगे। लेकिन यहां के मतदाता भी तो ऐसे हैं कि अधिकारी को जब तक लताड़ ना लगाओं उन्हें लगता ही नहीं है कि सुना गया है।
+ There are no comments
Add yours