गौतस्करों के बाद अब हथियारबन्द गोरक्षक

पुलिस पर गौतस्करी रोकने की जिम्मेदारी थी, नहीं रोक सकी

गौतस्करी का मुद्दा राजस्थान भर में गाहे बगाहे सुर्खियों में रहा है। कई बार विधानसभा में भी गौतस्करी को लेकर सवाल पूछे गये। सरकार ने लोगों की भावनाओं को देखते हुए गौरक्षा चौकियां भी स्थापित की। लेकिन ये चौकियां गौतस्करी को रोकने में नाकाम रही। खास बात ये कि राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से गायों को गाड़ियों में भरकर लाया जाता है और अलवर में कई बार ऐसी घटनाऐं हुई हैं जब गौतस्करों को रोका गया है। मामले दर्ज हुए हैं और गिरफ्तारियां भी हुई हैं। बहरोड़ में पहलू खान की मौते के बाद भी कोई सीख नहीं ली गई और उमर मोहम्मद की हत्या भी इसी भावना के साथ हुई। लेकिन ये ज्यादा खतरनाक है कि गौतस्करों पर लगाम की बजाय अब हथियारबन्द गौरक्षकों की बात सामने आ रही है।

गिरफ्तारी से पहले मृतक उमर के साथी ताहिर के बयान-

ये ताहिर जो पहले ही कई मुकदमों में वाँछित था। एक रटी रटाई कहानी बताता रहा। खास बात ये कि घटना के तुरन्त बाद कोई सूचना पुलिस या परिजनों को नहीं दी। पहले खुद भागकर गांव पहुँचा और अगले दिन ग्रामीणों को घटना के बारे में बताया। पहले समाज के लोगों को बताया कि वो दुधारु गाय ला रहे थे लेकिन तस्करी की बात सामने आने के बाद मेव समाज के कई मौजिज लोगों ने किनारा कर लिया।


ताहिर के साथ जावेद भी था जो घटना के वक्त गाड़ी चला रहा था-

चूंकि घटना का खुलासा इन्हीं दोनों की कहानी के बाद हुआ था और मृतक का शव अलवर के सामान्य अस्पताल में रखा था। जहां गौपालक को मारने की खबर ही बताई गई थी। सामाजिक तौर पर कई संगठनों ने इस, घटना का विरोध किया और कथित गौरक्षकों और पुलिस पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिये। जो जायज बी थे कि आखिर हत्या और दोनों पक्षों में फायरिंग कैसे हो गई।

थानाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं

गौतस्करी रोकने की जिम्मेदारी थानाधिकारी पर, असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी थानाधिकारी पर, क्षेत्र में शान्ति व्यवस्था कायम रखने,अवैध हथियार नहीं होने समेत इलाके की सभी जिम्मेदारियां थानाधिकारी की थी। लेकिन इलाके में कुछ असामाजिक तत्व (जैसा उनको पुलिस ने बताया) हथियारबन्द घूमते हैं, गौ तस्करी होती है और उनके पास भी हथियार होते हैं, रात्री में दो पक्षों में फायरिंग होती है लेकिन पुलिस को पता नहीं, सुबह गाड़ी में तोड़फोड़ और सामान चोरी मिलता है लेकिन कैसे हुआ ये पुलिस ने तलाशा नहीं। इन सबके बावजूद पुलिस के आलाधिकारियों ने जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। कई सवाल उठने के बाद रात्री में ड्यूटी पर रहे एक हैड कांस्टेबल को लाइन हाजिर किया गया। 

चोरी की पिकअप और मोपेड के नम्बर

गौ तस्करों द्वारा जिस पिकअप का उपयोग गायों को ले जाने में किया जा रहा था वो चोरी की थी और गंगानगर निवासी इंद्राज वर्मा के नाम दर्ज थी। गाड़ी पर जो नम्बर अंकित था वो अलवर के दाउदपुर निवासी बहादुर मोपेड का था। अभी तक की पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को ये नहीं बताया है कि गायों को कहां से खरीदा था।

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